नई दिल्ली:
देश में वक्फ एक्ट को लेकर एक बड़ी कानूनी जंग की शुरुआत हो चुकी है। आज से सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम (Waqf Act) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो रही है। इस मुद्दे को लेकर देशभर से 70 से भी अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं, जिनमें इस कानून को असंवैधानिक बताया गया है।
क्या है वक्फ एक्ट?
वक्फ एक्ट 1995 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत मुस्लिम धर्मस्थलों, कब्रिस्तानों, दरगाहों और अन्य धार्मिक स्थलों को 'वक्फ प्रॉपर्टी' घोषित किया जाता है। इन संपत्तियों की देखरेख वक्फ बोर्ड द्वारा की जाती है, जो राज्य और केंद्र सरकार के तहत काम करता है।
क्यों हो रहा है विरोध?
विरोध करने वालों का कहना है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह अधिनियम एकतरफा रूप से मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाता है और अन्य धार्मिक समुदायों के अधिकारों की अनदेखी करता है।
याचिकाओं में क्या मांग?
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वक्फ एक्ट को पूरी तरह असंवैधानिक घोषित किया जाए
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वक्फ बोर्ड को विशेष अधिकार देने वाले प्रावधान हटाए जाएं
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सभी धार्मिक संपत्तियों पर समान कानून लागू हो
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई एक संवैधानिक पीठ द्वारा की जा रही है, और यह देखा जाएगा कि वक्फ एक्ट भारतीय संविधान की मूल भावना के अनुरूप है या नहीं। इस केस के फैसले का असर न केवल मुस्लिम समुदाय पर, बल्कि देश की धार्मिक नीति और संपत्ति से जुड़े कानूनों पर भी पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
वक्फ एक्ट को लेकर शुरू हुई यह कानूनी लड़ाई भारतीय न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हो सकती है। सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं, जो आने वाले समय में इस मुद्दे की दिशा तय करेगा।