तकनीक के इस युग में जहां देशों की सैन्य शक्ति आधुनिक हथियारों और सटीक निशानों से तय होती है, वहीं पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों पर फिर सवाल उठने लगे हैं। ताज़ा मामला बीकानेर से जुड़ा है, जहां पाकिस्तान की एक चीनी-निर्मित मिसाइल रास्ता भटक कर भारतीय सीमा के पास आ गिरी। इस घटना ने न केवल पाकिस्तान की युद्ध तैयारी की पोल खोली, बल्कि उसकी मिसाइल टेक्नोलॉजी पर भी बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया।
1. चाइनीज तकनीक और पाकिस्तानी भरोसा – दोनों नाकाम!
पाकिस्तान लंबे समय से चीन पर अपनी सैन्य ज़रूरतों के लिए निर्भर है। लेकिन बार-बार ऐसा देखने को मिला है कि ये चीनी हथियार न तो टिकाऊ होते हैं और न ही सटीक। बीकानेर के पास रेगिस्तान में गिरी यह मिसाइल भी इसी तरह की एक "फुस्स कोशिश" का नतीजा है। ना कोई टारगेट हिट हुआ, ना कोई रणनीतिक प्रभाव पड़ा – सिर्फ धूल और शर्मिंदगी!
2. बीकानेर के ग्रामीणों में मची हलचल
मिसाइल के गिरने के बाद बीकानेर के आसपास के गांवों में हलचल मच गई। हालांकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और सेना ने तत्परता दिखाते हुए क्षेत्र को घेर लिया और किसी प्रकार की क्षति नहीं होने दी। स्थानीय लोग इस घटना से सकते में हैं लेकिन सेना की मुस्तैदी ने हालात को तुरंत काबू में लिया।
3. क्या थी पाकिस्तान की मंशा?
सवाल यह उठता है कि यह मिसाइल जानबूझकर चलाई गई थी या फिर यह एक परीक्षण था जो विफल हो गया? किसी भी स्थिति में यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की सैन्य तैयारी में तकनीकी खामियां अब खुलकर सामने आ रही हैं। यह घटना केवल एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि पाकिस्तान की "सस्ते हथियारों पर निर्भरता" की असलियत है।
पाकिस्तान की चाइनीज मिसाइल बीकानेर के रेगिस्तान में रास्ता भटक गई! जैसे इनका निशाना, वैसे ही हथियार – सस्ता और फुस्स! हमारी इंडियन आर्मी के सामने ये कभी टिक नहीं सकते!
— Mohd Mustaqeem Mewati (@MustaqeemMewati) May 7, 2025
#RevengeForPahalgamAttack pic.twitter.com/nVK813gVH7
4. भारतीय सेना की तत्परता काबिले तारीफ
जहां एक ओर पाकिस्तान की मिसाइल लक्ष्य से भटक रही थी, वहीं भारतीय सेना ने तत्काल स्थिति को संभाला और मिसाइल के गिरने की जगह को सील कर दिया। सुरक्षा बलों ने स्थानीय नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और किसी भी संभावित खतरे को पहले ही निष्क्रिय कर दिया।
5. क्या पाकिस्तान कभी टक्कर दे सकता है?
इस सवाल का जवाब अब साफ होता जा रहा है। पाकिस्तान जहां सस्ते चीनी हथियारों पर भरोसा करता है, वहीं भारत अपनी तकनीक में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। DRDO और ISRO जैसी संस्थाएं आधुनिकतम तकनीक पर काम कर रही हैं, जबकि पाकिस्तान अभी भी आयातित और असफल तकनीक पर निर्भर है।
निष्कर्ष:
बीकानेर की घटना से एक बार फिर साफ हो गया है कि पाकिस्तान की सैन्य शक्ति सिर्फ दिखावे की है। ना तो उनके हथियार सटीक हैं, और ना ही उनके इरादे मजबूत। भारतीय सेना के सामने उनका टिकना नामुमकिन है। ये सिर्फ "शब्दों की लड़ाई" में आगे हैं, ज़मीन पर नहीं।