HP Minimum Bus Fare: किराया बढ़ोतरी की CPI(M) ने की निंदा, फैसला वापस लेने की मांग; दी ये चेतावनी

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हिमाचल प्रदेश में न्यूनतम बस किराए में की गई बढ़ोतरी को लेकर विवाद तेज हो गया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी CPI(M) ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है और सरकार से इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर यह निर्णय रद्द नहीं किया गया तो सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा।


🔸 क्या है पूरा मामला?

हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने न्यूनतम बस किराया को ₹7 से बढ़ाकर ₹10 कर दिया है। सरकार का तर्क है कि ईंधन की कीमतों और रखरखाव खर्च में बढ़ोतरी के चलते यह कदम उठाया गया है।

लेकिन CPI(M) और कई सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह निर्णय आम जनता, खासकर गरीब और ग्रामीण वर्ग के लिए भारी पड़ रहा है।



🔸 CPI(M) ने क्या कहा?

CPI(M) के वरिष्ठ नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

"सरकार ने बिना जनता की राय लिए और बिना आर्थिक विश्लेषण के एकतरफा फैसला लिया है। यह जनविरोधी कदम है और हम इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जनता की जेब पर बोझ डालकर अपनी प्रशासनिक नाकामी छिपाने की कोशिश कर रही है।


🔸 आंदोलन की चेतावनी

CPI(M) ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो:

  • प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे

  • सड़कें जाम की जाएंगी

  • राजधानी शिमला में रैली निकाली जाएगी

  • बस स्टैंडों पर धरना दिया जाएगा


🔸 जनता की प्रतिक्रिया

न्यूनतम किराया ₹10 होने के बाद राज्य के कई हिस्सों से नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। खासकर स्कूल-कॉलेज के छात्र, मजदूर वर्ग और छोटे दुकानदार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

लोगों का कहना है:

  • "रोज 4-5 बार बस पकड़नी पड़ती है, खर्च दुगना हो गया।"

  • "छात्रों को पहले ही महंगी किताबों और फीस से परेशानी है, अब यह किराया बोझ बन गया।"

  • "सरकार को कोई वैकल्पिक समाधान निकालना चाहिए था।"


🔸 सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि यह निर्णय आवश्यक था, क्योंकि परिवहन निगम को भारी नुकसान हो रहा था। ईंधन, स्पेयर पार्ट्स और स्टाफ सैलरी में बढ़ोतरी को देखते हुए यह कदम उठाया गया।

हालांकि, सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह फिर से समीक्षा कर सकती है और जरूरत पड़ने पर कुछ छूट वर्ग के लिए रियायतें भी लागू की जा सकती हैं।


🔸 क्या हो सकता है समाधान?

राजनीतिक और सामाजिक विशेषज्ञों के अनुसार:

  • सरकार को छात्र, वृद्ध, विकलांग और मजदूर वर्ग को रियायत देनी चाहिए

  • चरणबद्ध तरीके से किराया बढ़ाया जाए

  • परिवहन सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जाए

  • आम जनता से संवाद किया जाए


🔸 निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश में बस किराया बढ़ोतरी का मुद्दा अब एक बड़ा राजनीतिक विवाद बनता जा रहा है। CPI(M) की चेतावनी और जनता की नाराजगी सरकार के लिए संकेत है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो मामला और बिगड़ सकता है।



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