15 दिन में तीसरी बार क्रैश, क्या खतरे में है भारतीय UPI सिस्टम? रोज होता है 80 हजार करोड़ रुपए का लेन-देन

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भारत का UPI सिस्टम पूरी दुनिया में अपनी रफ्तार और भरोसेमंद टेक्नोलॉजी के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल ही में जो घटनाएं हुई हैं, उसने सिस्टम की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 15 दिनों के अंदर तीसरी बार UPI क्रैश होना अब आम लोगों से लेकर व्यापारियों तक के लिए चिंता का कारण बन चुका है।

क्या हुआ था हाल ही में?

देशभर में कई यूजर्स ने शिकायत की कि उनका UPI पेमेंट फेल हो रहा है या बहुत देर से प्रोसेस हो रहा है। खासकर भीम ऐप, PhonePe, Google Pay और Paytm जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स पर ट्रांजैक्शन में दिक्कतें देखने को मिलीं।

क्यों हो रहा है ऐसा?

  1. सर्वर ओवरलोड: रोजाना करीब ₹80,000 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजैक्शन होता है, और UPI की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। सिस्टम पर प्रेशर बहुत ज्यादा हो गया है।

  2. तकनीकी खामी: नेटवर्क अपग्रेडेशन या टेक्निकल गड़बड़ी भी एक बड़ा कारण हो सकती है।

  3. बढ़ती यूजर संख्या: करोड़ों लोग अब UPI यूज कर रहे हैं, और त्योहार या वेतन के समय ये संख्या कई गुना बढ़ जाती है।


क्या खतरे में है भारत का UPI सिस्टम?

भारत का UPI सिस्टम बेहद मजबूत और सुरक्षित है। हां, फिलहाल कुछ तकनीकी समस्याएं सामने आ रही हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये स्थायी नहीं हैं। जल्द ही इसमें सुधार की उम्मीद है।

दुनियाभर में है UPI की पहचान

भारत का UPI मॉडल अब दूसरे देशों तक पहुंच चुका है। सिंगापुर, UAE, फ्रांस, भूटान जैसे देश भारत की डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी को अपनाने लगे हैं। ये इस बात का सबूत है कि भारतीय टेक्नोलॉजी कितनी विश्वसनीय और आगे बढ़ चुकी है।

आम यूजर्स क्या करें?

  • ट्रांजैक्शन फेल हो तो घबराएं नहीं, पैसा अपने आप रिफंड हो जाता है।

  • ऑफलाइन विकल्प (जैसे कैश या कार्ड) रखें, खासकर जरूरी पेमेंट्स के लिए।

  • बैंक या ऐप सपोर्ट से संपर्क करें अगर लगातार दिक्कत हो।


निष्कर्ष:
भारत का UPI सिस्टम फिलहाल कुछ चुनौतियों से गुजर रहा है, लेकिन इसका भविष्य उज्ज्वल है। सरकार और NPCI लगातार सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं। कुछ दिक्कतें होंगी, लेकिन टेक्नोलॉजी में अपडेट्स ही बदलाव लाते हैं।

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