Gold@100000: टैरिफ टेंशन, कमजोर डॉलर... वो फैक्टर जिनके दम पर लखटकिया हुआ गोल्ड

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: सोने की चमक ने फिर किया कमाल

सोना यानी गोल्ड हमेशा से भारतीयों के दिल के बेहद करीब रहा है। चाहे शादी-ब्याह हो या त्यौहार, गोल्ड की मांग हमेशा बनी रहती है। लेकिन हाल ही में जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया — गोल्ड की कीमत ₹1,00,000 प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई! यह एक ऐतिहासिक मुकाम है, और हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है: आख़िर ऐसा क्यों हुआ?

इस लेख में हम जानेंगे उन तमाम आर्थिक, वैश्विक और राजनीतिक कारणों को, जिनकी वजह से सोना "लखटकिया" बन गया।


सोना ₹1 लाख तक कैसे पहुंचा?

अब तक का रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड की कीमतें लगातार ऊंचाई छू रही हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों में सोने के भाव तेज़ी से चढ़े। भारत में यह तेजी कई घरेलू और वैश्विक कारकों के चलते आई है।



आइए जानें वे मुख्य कारण जिनकी वजह से गोल्ड बना 'लखटकिया'


🔸 1. अमेरिका-चीन टैरिफ टेंशन

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं — अमेरिका और चीन — लंबे समय से व्यापार युद्ध में उलझी हैं। हाल ही में फिर से टैरिफ बढ़ाए जाने की चर्चाएं शुरू हुईं, जिससे ग्लोबल निवेशकों में डर का माहौल बना।

नतीजा: जब बाजार अस्थिर होता है, तो निवेशक सुरक्षित विकल्प ढूंढते हैं — और गोल्ड सबसे सुरक्षित माना जाता है।


🔸 2. कमजोर होता अमेरिकी डॉलर

डॉलर की कीमत कमजोर होने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना सस्ता होता है, लेकिन भारत जैसे देशों में उसकी कीमत और बढ़ जाती है क्योंकि हमें इंपोर्ट करना पड़ता है।

इस बार: डॉलर इंडेक्स में गिरावट ने गोल्ड को उड़ान दी।


🔸 3. ग्लोबल मंदी की आशंका

अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे बड़े बाजारों में मंदी की संभावनाएं लगातार मंडरा रही हैं। IMF और World Bank की रिपोर्ट्स भी इस चिंता को बढ़ा रही हैं।

नतीजा: निवेशक इक्विटी छोड़कर गोल्ड की ओर भागे।


🔸 4. ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद

जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरें घटाते हैं, तो बचत का रिटर्न घटता है और लोग गोल्ड में निवेश करना बेहतर समझते हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक और फेडरल रिज़र्व दोनों से ही रेट कट की उम्मीदें बनी हुई हैं।


🔸 5. जियो-पॉलिटिकल तनाव

ईरान-इज़राइल संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और दक्षिण चीन सागर में तनाव जैसी घटनाएं निवेशकों को डरा रही हैं।

गोल्ड बन गया है ग्लोबल असुरक्षा में सबसे भरोसेमंद निवेश।


🔸 6. डोमेस्टिक डिमांड में इज़ाफा

भारत में शादी-ब्याह और अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों के चलते सोने की मांग हर साल इस समय बढ़ती है।

इस बार: बढ़ती कीमतों के बावजूद खरीदारी जारी रही, जिससे कीमतें और ऊपर गईं।


भारत में सोने का क्रेज: आंकड़ों की जुबानी

सालऔसत सोने का भाव (₹/10 ग्राम)
2010₹18,500
2015₹26,000
2020₹52,000
2023₹62,000
2025₹1,00,000+

यह आंकड़ा सिर्फ कीमत नहीं, भारतीय भावनाओं और बाज़ार की दिशा दोनों को दर्शाता है।


निवेश के नजरिए से गोल्ड: फायदे और जोखिम

फायदे

  • सुरक्षित निवेश विकल्प

  • मुद्रास्फीति से सुरक्षा

  • वैश्विक अनिश्चितताओं में सहारा

जोखिम

  • कोई नियमित रिटर्न नहीं (जैसे डिविडेंड)

  • कीमतों में अचानक गिरावट की आशंका

  • चोरी और स्टोरेज का जोखिम (फिजिकल गोल्ड में)


गोल्ड में कैसे करें निवेश?

तरीकाविवरण
फिजिकल गोल्डसोने के गहने, सिक्के या बिस्किट
गोल्ड ETFशेयर बाजार में ट्रेड होने वाला सोना
सॉवरेन गोल्ड बॉन्डसरकार द्वारा जारी किया गया निवेश विकल्प
डिजिटल गोल्डऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए खरीदी गई मात्रा

क्या यह गोल्ड खरीदने का सही समय है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि सोना अभी और ऊपर जा सकता है, लेकिन नई ऊंचाइयों पर निवेश करना जोखिम भरा भी हो सकता है। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो SIP के जरिए छोटे-छोटे भाग में गोल्ड खरीदना ज्यादा समझदारी भरा कदम होगा।


विशेषज्ञों की राय

📢 "₹1 लाख का गोल्ड अभी अंत नहीं है" – गोल्ड एनालिस्ट
📢 "जियो-पॉलिटिकल संकट और कमजोर डॉलर से यह कीमत और ऊपर जा सकती है"
📢 "अगर आप लॉन्ग टर्म सोचते हैं, तो थोड़ा-थोड़ा गोल्ड खरीदना शुरू करें"


निष्कर्ष: गोल्ड की यह चमक कितनी टिकेगी?

सोने की कीमतों में आई यह तेज़ी कई फैक्टर्स का मिला-जुला असर है। जहां एक ओर वैश्विक तनाव और कमजोर डॉलर इसका मुख्य कारण हैं, वहीं भारतीय बाजार में डिमांड भी कम नहीं हुई है।

गोल्ड ₹1 लाख के पार चला गया है — ये ऐतिहासिक है, लेकिन याद रखिए:

"गोल्ड सिर्फ गहनों के लिए नहीं, सोच-समझकर किया गया निवेश भी है!"

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