हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार अब प्रदेश के 18,925 आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में मर्ज (विलय) करने जा रही है। इस फैसले का उद्देश्य है—छोटे बच्चों को शुरुआत से ही एक मजबूत शैक्षिक आधार देना।
क्यों लिया गया ये फैसला?
इस बदलाव के पीछे सरकार की सोच है कि बच्चों को शुरुआती वर्षों में ही बेहतर शिक्षा और संसाधन मिलें। अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पोषण और प्राथमिक देखभाल दी जाती थी, लेकिन शैक्षणिक स्तर पर सीमित गतिविधियां होती थीं।
अब जब इन्हें प्री-प्राइमरी स्कूलों से जोड़ा जाएगा, तो बच्चों को मिलेगा:
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बेहतर टीचिंग स्टाफ
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संगठित शैक्षणिक पाठ्यक्रम
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बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं
क्या होगा इसका असर?
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बच्चों को फायदा – 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों को अब स्कूल जैसा माहौल मिलेगा, जिससे उनकी सीखने की क्षमता में सुधार होगा।
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अभिभावकों को भरोसा – माता-पिता अपने बच्चों को अधिक सुरक्षित और शिक्षित वातावरण में भेज सकेंगे।
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका – इन केंद्रों में कार्यरत आंगनबाड़ी वर्कर्स को अब शिक्षक के साथ सहायक की भूमिका निभानी होगी, साथ ही उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
शिक्षा नीति के अनुरूप कदम
यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप है, जिसमें 3 से 8 साल की उम्र के बच्चों के लिए "Foundational Stage" को विशेष महत्व दिया गया है। इसके तहत बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाना और सोचने-समझने की क्षमता को विकसित करना शामिल है।
निष्कर्ष:
हिमाचल प्रदेश का यह निर्णय राज्य में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित हो सकता है। इससे न केवल बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।