सेब के बगीचों में करें फफूंदनाशकों का छिड़काव, बागवानी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने जारी किया स्प्रे शेड्यूल

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हिमाचल प्रदेश में सेब की बागवानी से जुड़े किसानों के लिए एक अहम सलाह जारी की गई है। डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) के विशेषज्ञों ने सेब के बगीचों में फफूंदनाशकों (Fungicides) का छिड़काव करने की सिफारिश की है, ताकि फलों को बीमारियों से बचाया जा सके और उत्पादन की गुणवत्ता बनी रहे।

🌿 क्यों जरूरी है छिड़काव?

हाल के दिनों में मौसम में नमी बढ़ने और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण सेब के पौधों में स्कार्ब (Scab), पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) और अन्य फफूंदीजनित रोगों का खतरा बढ़ गया है। अगर समय पर छिड़काव नहीं किया गया तो फलों का आकार, रंग और उत्पादन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।


📅 विश्वविद्यालय द्वारा जारी स्प्रे शेड्यूल:

विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे निम्नलिखित फफूंदनाशकों का चरणबद्ध तरीके से उपयोग करें:

  1. पहला छिड़काव

    • Fungicide: मैनकोजेब 75% WP (Mancozeb)

    • मात्रा: 600 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी

    • समय: फूल झड़ने के तुरंत बाद (Petal fall stage)

  2. दूसरा छिड़काव

    • Fungicide: डाइथेन एम-45 या कैप्टन

    • मात्रा: 600 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी

    • समय: पहले छिड़काव के 10-12 दिन बाद

  3. तीसरा छिड़काव

    • Fungicide: ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन + टेबुकोनाज़ोल मिश्रण

    • मात्रा: 200 मिली प्रति 200 लीटर पानी

    • समय: रोग की गंभीरता के अनुसार

नोट: छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, जब तेज धूप न हो। और मौसम का पूर्वानुमान देखकर ही स्प्रे करें।

🧑‍🌾 किसानों से अनुरोध

बागवानी विश्वविद्यालय ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे फफूंदनाशकों का संतुलित प्रयोग करें और किसी भी दवा का छिड़काव करने से पहले स्थानीय कृषि अधिकारी या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।


🔚 निष्कर्ष:
फलों की गुणवत्ता और मात्रा को बरकरार रखने के लिए सही समय पर फफूंदनाशकों का छिड़काव जरूरी है। बागवानी विश्वविद्यालय द्वारा जारी शेड्यूल किसानों के लिए एक वैज्ञानिक मार्गदर्शन है, जिससे उन्हें बेहतर उत्पादन हासिल करने में मदद मिलेगी।

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