नमस्कार,
यहाँ उपस्थित सभी आदरणीय अतिथिगण, शिक्षकगण, अभिभावक और मेरे प्यारे साथियों को मेरा सादर प्रणाम।
आज हम सब यहां भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं। यह सिर्फ एक जन्मदिन नहीं, बल्कि एक विचार, एक आंदोलन, और एक महान चेतना का उत्सव है। एक ऐसा व्यक्ति, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज के सबसे अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया।
🔹 डॉ. अंबेडकर कौन थे?
डॉ. भीमराव अंबेडकर ना केवल भारत के संविधान के निर्माता थे, बल्कि एक क्रांतिकारी समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और महान शिक्षाविद् भी थे। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था – उन्होंने जातिवाद की जंजीरों को तोड़कर साबित कर दिया कि शिक्षा और आत्मबल से कोई भी महानता की ऊंचाइयों को छू सकता है।
🔹 उनकी सबसे बड़ी देन – भारतीय संविधान
आज हम जिस लोकतंत्र में खुलकर सांस ले रहे हैं, उसका आधार हमारे संविधान में निहित है, जिसे बाबासाहेब ने लिखा। उन्होंने हमें समता, स्वतंत्रता, बंधुता और न्याय जैसे मूल अधिकार दिए, जो आज भी भारत की आत्मा हैं।
उन्होंने कहा था:
"मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को सिखाए।"
🔹 समाज सुधारक के रूप में योगदान
डॉ. अंबेडकर ने अछूतों के लिए मंदिर प्रवेश, जल अधिकार, शिक्षा का प्रसार, और महिलाओं के अधिकार जैसे कई आंदोलनों की अगुवाई की। उन्होंने समाज को चेताया कि केवल राजनीतिक आजादी ही काफी नहीं, सामाजिक समानता भी उतनी ही जरूरी है।
🔹 युवाओं के लिए संदेश
बाबासाहेब का जीवन हम युवाओं के लिए एक आदर्श है। उन्होंने हमेशा कहा:
"शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।"
आज अगर हम उनके विचारों को आत्मसात करें, तो हम न केवल खुद का, बल्कि समाज और देश का भी उत्थान कर सकते हैं।
🔹 निष्कर्ष
डॉ. अंबेडकर की जयंती सिर्फ उनके जीवन की स्मृति नहीं, बल्कि हमारे कर्तव्यों की याद है। यह दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम जात-पात, भेदभाव और असमानता को मिटाकर एक समरस और समावेशी भारत बनाएं।
आइए, हम सब मिलकर उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में काम करें।
जय भीम!
जय भारत!
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