आजकल ग्रीन-टी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। फिटनेस, डिटॉक्स और वज़न घटाने के साथ-साथ अब इसे ब्लड शुगर कंट्रोल करने में भी फायदेमंद माना जा रहा है। लेकिन सवाल ये है — क्या ग्रीन-टी वास्तव में डायबिटीज़ के मरीजों के लिए कारगर है?
चलिए जानते हैं ग्रीन-टी और ब्लड शुगर लेवल के रिश्ते को आसान भाषा में।
🍵 ग्रीन-टी में क्या होता है खास?
ग्रीन-टी में मौजूद होते हैं:
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एंटीऑक्सीडेंट्स (Catechins)
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पॉलीफेनॉल्स
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एल-थेनाइन (L-theanine)
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और हल्का-सा कैफीन
इनमें से कैटेचिन्स (Catechins) शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इससे शरीर ब्लड में मौजूद ग्लूकोज को बेहतर तरीके से उपयोग कर पाता है।
🔬 क्या कहती हैं स्टडीज़?
कुछ रिसर्च में पाया गया है कि:
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रोज़ाना 2-3 कप ग्रीन-टी पीने से फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल में सुधार देखा गया।
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कुछ लोगों में HbA1c (तीन महीनों का औसत शुगर लेवल) भी थोड़ा बेहतर हुआ।
हालांकि, ये प्रभाव हर व्यक्ति में समान नहीं होता और ये इलाज का विकल्प नहीं, बल्कि एक सहायक उपाय (supportive remedy) है।
👩⚕️ डायबिटीज़ रोगियों के लिए फायदे:
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✅ ब्लड शुगर लेवल में हल्का सुधार
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✅ मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है
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✅ वज़न कंट्रोल में मददगार
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✅ दिल की सेहत में फायदेमंद
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✅ एंटीऑक्सीडेंट्स से सूजन और थकान कम होती है
⚠️ ध्यान रखने वाली बातें:
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ग्रीन-टी खाली पेट ना पिएं — इससे एसिडिटी हो सकती है।
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दिन में 2–3 कप से ज्यादा न लें — अधिक मात्रा में कैफीन शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।
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मीठा या शहद मिलाने से बचें, खासकर अगर ब्लड शुगर पहले से हाई है।
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इसे कोई दवा न समझें — अपनी दवाइयां और डाइट डॉक्टर के निर्देशानुसार ही लें।
✅ निष्कर्ष:
ग्रीन-टी डायबिटीज़ का इलाज नहीं, लेकिन एक सहायक उपाय ज़रूर हो सकता है।
अगर आप इसे संतुलित मात्रा में पीते हैं, तो यह आपके ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने, वजन घटाने और शरीर को अंदर से साफ करने में मदद कर सकता है।
तो अगली बार जब आप ग्रीन-टी का कप उठाएं, तो समझिए कि ये सेहत की तरफ एक छोटा लेकिन असरदार कदम है।