हिमाचल प्रदेश की पंचायतों में अब बीडीओ कराएंगे रेत-बजरी के टेंडर, पारदर्शिता और विकास को मिलेगा बढ़ावा

शिमला, अप्रैल 2025 — हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए प्रदेश की पंचायतों में रेत और बजरी के टेंडर करवाने की जिम्मेदारी अब खंड विकास अधिकारियों (BDO) को सौंप दी है। इस फैसले का उद्देश्य न केवल टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है, बल्कि ग्रामीण विकास कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाना भी है।

अब तक क्या होता था?

पंचायतों में रेत-बजरी की आपूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर टेंडर करवाए जाते थे। यह प्रक्रिया अक्सर प्रधान या पंचायत सचिव की देखरेख में होती थी। लेकिन समय-समय पर इसमें अनियमितताओं और गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आती थीं। कहीं ठेकेदारों को बिना प्रक्रिया के काम मिल जाता था, तो कहीं टेंडर की सूचना समय पर जारी ही नहीं होती थी।

नई व्यवस्था में क्या बदलेगा?

अब बीडीओ की निगरानी में ही रेत-बजरी के टेंडर जारी होंगे और प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहेगी। सभी नियमों और शर्तों के अनुसार टेंडर फॉर्म आम जनता के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे और तय समय सीमा में प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

सरकार का कहना है...

राज्य पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण विकास के लिए निर्माण सामग्री की उपलब्धता बेहद ज़रूरी है। कई पंचायतों से यह शिकायत मिल रही थी कि बिना टेंडर काम दिए जा रहे हैं या कुछ पंचायतें टेंडर करवाने में ही असमर्थ हैं। ऐसे में बीडीओ को जिम्मेदारी देना एक सकारात्मक कदम है।


इसके क्या लाभ होंगे?

  1. नियमों का पालन सुनिश्चित होगा

  2. भ्रष्टाचार की संभावना होगी कम

  3. निर्माण कार्यों में तेजी आएगी

  4. स्थानीय ठेकेदारों को समान अवसर मिलेगा

  5. जनता को समय पर रेत-बजरी मिलेगी

जनता क्या कह रही है?

कुछ ग्रामीणों और पंचायत सदस्यों का मानना है कि बीडीओ के पास पहले से ही कई जिम्मेदारियाँ होती हैं, ऐसे में यह नई जिम्मेदारी उन पर बोझ बढ़ा सकती है। हालांकि ज़्यादातर लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और मानते हैं कि इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता आएगी।

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम पंचायत स्तर पर एक बड़ी प्रशासनिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है। यदि सही ढंग से लागू किया गया, तो यह निर्णय ग्रामीण विकास को नई दिशा देने में मददगार साबित हो सकता है।

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